दीपावली ,क्यों मनाई जाती है दीवाली

 


दीपावली हिंदुओं का एक प्रशिद्ध त्योहार है ।पूरे भारत वर्ष में कार्तिक मास की अमावस्या को धूमधाम से मनाया जाता है।कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम चौदाह वश का वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटे थे,इस उपलक्ष्य में वहां के लोगों ने दीप जलाकर श्रीराम का स्वागत किया उसी दिन से यह त्योहार मनाया जाने लगा।दूसरी मान्यता यह भी है कि भगवान श्री कृष्णा ने नरकासुर का संहार किया था,इसी खुशी में यह त्योहार मनाई जाती है।
       दीपावली की तैयारी कार्तिक मास के आते ही शुरू हो जाती है।लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करने लगते है।फलतः बरसात में आई सारि गंदगी की नाश हो जाता है।कीड़े-मकोड़े सारे मर-मिट जाते है।घरों को एक नई जिंदगी मिल जाती है।
    कार्तिक अमावस्या की शाम से ही लोग अपने घरों में दीपक जलाने लगते है और जैसे-जैसे रात्रि बढ़ती जाती है घरों के दरवाजे,खिड़कियाँ,छज्जे सभी प्रकाशपूर्ण हो जाते है।धरती पर दीपको की बारात उत्तर आयी है--अंधकार मिटाने हेतु।
बच्चों की खुशी का ठिकाना नही होता है।वे पटाखे और फुलझड़ीयां जलाते कुलेल करते घूमते रहते है।खिल-बताशे बाँटते है और लड़कियां घरोंदा बनाती है।

                       कहते है इसी दिन धन की देवी लक्ष्मी धरती पर आती है।अतः प्रायः सभी हिन्दू उज़ दिन लक्ष्मी पूजा करते है और धन-धान्य से पूर्ण होने की कामना करते है।व्यापारी अपना ण्य बही-खाता इसी दिन शुरू करते है।कुछ लोग जुवा खेलते है और प्रकाश की जगह अंधकार को अपने घर आमंत्रित करते है।वस्तुतः दीपावली ज्योतिपर्व है।अंधकार पर विजय की पर्व है।
                दीपावली का त्योहार मुख्यतः पांच दिन चलता है।कार्तिक बदी(कृष्णा-पक्ष)13 को धन्वंतरि-त्रयोदशी(धनतेरस) मनाई जाती है। कहते है कि उसी दिन देवताओ के वैद्य और वैद्यो के पूज्य धन्वंतरि का अवतरण हुआ अतः इस दिन सब लोग यथा-सामर्थ्य नैबर्तन खरीदते है।
           चतुर्दशी का दिन नरक चौदश के रूप में मनाया जाता है।कहते है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्णा ने उत्तर-पूर्व(अब असम प्रदेश) में राज करने वाले महषासुर का वधन किया था और अनेक नारियों को उसके कैद से मुक्त किया था।
अमावश्या को दीपवाली मनाई जाती है प्रतिपदा के दिन अन्नकूट का त्योहार मानते है।घरों के आंगन में गोबर द्वारा गोवर्धन पर्वत बनाकर इसका पूजन करते है।यह त्योहार खाद्यान्न के महत्व को प्रकट करता है।अगले दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीय के दिन यमदुतिया का त्योहार मनाया जाता है ।इस दिन यमराज की बहन यमुना की पूजा की जाती है।यह वस्तुतः भाई-बहन का त्योहार मन जाता है।भाई-बहन एक साथ यमुना में स्नान करते है और यम यातना से मुक्त होने की कामना करते है।उसके बाद बहन भी को टीका करती है और भाई को यथासमर्थ अच्छे से अच्छा भोजन करती है।भाई भी अपनी सामर्थ्यानुसार अपनी बहन को वस्त्र-धन इत्यादि देता है।मथुरा में विश्राम घाट पर यमुना का विशेष महत्व मन जाता है।यह त्योहार मथुरा में विशेषतः बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस प्रकार पांच दिन तक चलने वालादीपावली का त्योहार भाई-दूज के दिन समाप्त होता है। यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है।
   ध्यातव्य यह है कि दीपावली का त्योहार प्रकाश के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

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