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Showing posts from October 30, 2021

बिरसा मुंडा जन्मदिन । बिरसा मुंडा बायोग्राफी । बिरसा मुंडा पर निबंध । - All rounder solver

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  बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के रांची जिला में हुआ था।इनके पिता का नाम सुगना मुंडा था।वे गरीब किसान थे।पांच वर्ष की उम्र में वे ननिहाल चले गए वहीं से वे मौसी के यहां खट्वांग कजल गए।यहीं से एक ईसाई धर्मप्रचारक के संपर्क में आए और पढ़ना लिखना सीखा।उनके गुरु का नाम आनंद पांडेय था।उनके संपर्क में आकर वे सनातन धर्म तथा देवी-देवताओ के बारे में ज्ञान प्राप्त किया।पुनः एक जर्मन पादरी के संपर्क में यह बारनो गए और 1890 को उच्च प्राथमिक स्तर की परीक्षा में सफलता प्राप्त की।इस प्रकार इन पर ईसाई और सनातन धर्मो का प्रभाव पड़ा। बिरसा सामान्य आदिवासियों की तरह ही निर्धन थे।जिन्हें कहना भी मुश्किल से मिलता था।बिरसा को अपने भाइयों की दुर्दशा एवं जमींदारी के अत्याचारों को देखकरबहुत दुख होता था।एक बार इन्हें जब समाज से बहिस्कृत किया गया,तो जंगल में चले गए और शांति की तलाश में चिंतन औए संतो के साथ भजन-कीर्तन शुरू किया।उसकी वाणी एवं भजन से युवक वर्ग आकर्षित हुआ।भजन के बाद वे धर्म चर्चा करते थे और कहते थे कि परोपकार ही सच्चा धर्म है।वे नशा ण्य करने पर भी ज़ोर देते थे।जब-जब महामारी फैली तब-त...

Important notice GIRIDIH COLLEGE GIRIDIH intermediate Section

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Giridih College Giridih Intermediate Section NOTICE झारखण्ड अधिविध परिषद, राँची विज्ञप्ति संख्या 40/2021 के अनुसार इंटरमीडिएट वार्षिक परीक्षा 2022 में सम्मिलित होने वाले सभी छात्र / छात्राओं को सूचित किया जाता है कि निम्नलिखित कार्यक्रम के तहत परीक्षा प्रपत्र भरा जाएगा :विलम्ब शुल्क रहित :-28.10.2021 से 12.11.2021 तक। विलम्ब शुल्क सहित :-14.11.2021 से 17.11.2021 तक। शुल्क का विवरण :  Candidate types           Fee               Late Fee.  1.Regular Girls   -       630.00                    300.00 2.Ex-Regular Boys/girls - 830.00           300.00 3.Ex-Regular Boys/.         -  650.00        300.00 Girls (subsequent Attempt) 4.Regular Boys (General) -   830.00      300.00 5.Regular Boys          -  ...

चाणक्य नीति: पहला अध्याय

  1.तीनो लोकों के स्वामी सर्वसक्तिमान भगवान विष्णु को नमन करते हुए मै एक एक राज्य के लिए नीति शाहत्र के सिद्धांतों को कहता हूँ। मैं यह सूत्र अनेक शास्त्रों का आधार लेकर कह रहा हूँ। 2.जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अत्यंत वैभवशाली कर्तव्यो के सिद्धांत ज्ञात होंगे।उज़ इस बात का पता चलेगा कि किन बातों का अनुसरण करना चाहिए और किनका नही। उसे अच्छाई और बुराई का भी ज्ञात होगा अंततः उज़ सर्वोत्तम का बजी ज्ञान होगा। 3.इसलिए लोगों का भला करने के लिए में उन बातों को कहूंगा जिनसे लोग सभी को सही परिपेक्ष्य में देखेंगे। 4.एक पंडित भी घोर कष्ट में आ जाता है   यदि वह किसी मूर्ख को उपदेश देता है ।  यदि एक दुष्ट पत्नी का पालन-पोषण करता है।  किसी दुखी व्यक्ति से अत्यंत 5.दुष्ट पत्नी,झूठा मित्र,बदमाश नौकर,एयर सर्प के साथ निवास करना साक्षात मृत्यु के समान है। 6.व्यक्ति को आने वाली मुशीबतों से निबटने के लिए धन संचय करना  चाहिए।उज़ धन-संपदा त्याग कर भी पत्नी की सिरक्षा करनी   चाहिए।लेकिन आत्मा की सुरक्षा की बात आती है तो उसे धन और ...